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गेहूं निर्यात के भारत के फैसले का चीन ने किया समर्थन, विकासशील देशों पर दोष मढ़ने से काम नहीं चलेगा

नई दिल्ली। गेहूं की बढ़ती कीमतों को देखते हुए भारत ने निर्यात पर प्रतिबंध लगाया तो यूरोप में कीमतों में उछाल देखने को मिला। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हुई है जिसकी वजह से गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं। अब इस मामले में चीन भी भारत के साथ दिखाई दे रहा है। निर्यात पर बैन लगाने को लेकर चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि इसमें हम जैसों का क्या दोष है। विकासशील देशों पर दोष मढ़ने से काम नहीं चलेगा।

दरअसल इस निर्यात बैन को लेकर जी7 देशों ने भारत की आलोचना की। चीन ने कहा कि जी-7 देशों के कृषि मंत्री भारत से गेहूं के एक्सपोर्ट पर लगी रोक हटाने की मांग कर रहे हैं। वे देश खाद्यान्न बाजार को स्थिर करने का प्रयास खुद क्यों नहीं करते? चीन ने कहा, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है लेकिन दुनियाभर में पहुंचने वाले गेहूं में भारत का कम ही होता है। वहीं अमेरिका, कनाडा, ईयू और आॅस्ट्रेलिया जैसे देश ज्यादा निर्यात किया करते थे। सवाल उठता है कि इन देशों ने गेहूं के निर्यात में गिरावट क्यों की?

चीनी मीडिया ने खुलकर लिया भारत का पक्ष

चीनी मीडिया ने खुलकर भारत का पक्ष लेते हुए कहा कि जो देश अपने यहां लोगों को गेहूं सप्लाई करने का प्रयास कर रहा है और बड़ी आबादू को भोजन देने की कोशिश कर रहा है उसकी आलोचना क्यों की जा रही है। ग्लोबल टाइम्स में आगे कहा गया कि पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंध इस संकट की वजह हैं। इसी वजह से खाद्यान्न की कीमत में इजाफा हुआ है। अगर समय रहते ध्यान न दिया गया तो दुनिया की एक बड़ी आबादी गरीबी की ओर चली जाएगी। चीन ने कहा, भारत को दोष देने से खाद्यान्न की समस्या नहीं खत्म होगी। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत का गेहूं निर्यात रुकने से गेहूं की कीमतों में थोड़ा बहुत इजाफा होगा। लेकिन यह पश्चिमी देशों की चाल है। वे चाहते हैं कि गेहूं की बढ़ती कीमतों का दोष विकासशील देशों पर मढ़ दिया जाए। चीन ने नसीहत देते हुए का कि विकसित देशों को अपना उत्पादन बढ़ाना चाहिए और निर्भरता कम करनी चाहिए।

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