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Char Dham Project: एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट मे कहा, प्रोजेक्ट के लिए इस वजह से सेना का बनाया बहाना

नई दिल्ली। चारधाम राजमार्ग परियोजना में सड़कों को चौड़ा करने पर आपत्ति जताने वाली एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सैनिकों को उच्च सीमा वाले क्षेत्रों में नहीं ले जाया जा सकता है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि चीन की सीमा तक जाने वाले चारधाम हाईवे प्रोजेक्ट में दिक्कतों के चलते सेना को चौड़ी सड़कों की जरूरत है। रणनीतिक 900 किलोमीटर लंबी चार धाम राजमार्ग परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चार शहरों (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ) को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है।

चौड़ाई 5.5 मीटर से अधिक नहीं

रक्षा मंत्रालय ने पहले के एक आदेश को वापस लेने के लिए एक आवेदन दायर किया है, जिसमें अदालत ने कहा था कि चौड़ाई 5.5 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। एनजीओ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि सेना ने कभी नहीं कहा कि हमें ये चौड़ी सड़कें चाहिए। राजनीतिक सत्ता में किसी उच्च व्यक्ति ने कहा कि हम चार धाम यात्रा पर राजमार्ग चाहते हैं। सेना अनिच्छा से साथ उनके साथ चली गई। गोंसाल्वेस ने बताया कि इस साल बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ है, जिससे पहाड़ों में नुकसान और बढ़ गया है।

चीन करने लगा निर्माण

उन्होंने कहा कि राजमार्ग का विकास प्रतिष्ठित चार धाम परियोजना के लिए किया गया था। जब इन सड़कों का निर्माण किया जा रहा था तब सेना पर विचार नहीं किया गया था। अब आप चार धाम यात्रा के लिए सड़कों को सही नहीं ठहरा सकते हैं, इसलिए आप सेना को एक बहाने के रूप में इस्तेमाल करते हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने गोंजाल्विस से पूछा कि क्या उनके पास सीमा के दूसरी ओर हिमालय की स्थिति पर कोई रिपोर्ट है, जहां चीनियों ने इमारतों और प्रतिष्ठानों का निर्माण किया है। गोंसाल्वेस ने कहा कि चीनी सरकार पर्यावरण की रक्षा के लिए नहीं जानी जाती है। हम कोशिश करेंगे और देखेंगे कि क्या हमें वहां की स्थिति के बारे में कोई रिपोर्ट मिल सकती है। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गठित एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा तक सड़कों के चौड़ीकरण पर चार धाम राजमार्ग परियोजना की निगरानी कर रही है।

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