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Chandrayaan-3 Live Update: चंद्रयान-3 का लैंडर हुआ प्रोपल्शन से अलग, अब चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा

Chandrayaan-3 Live Update: चंद्रयान-3 का लैंडर हुआ प्रोपल्शन से अलग, अब चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा

Chandrayaan-3 Update: चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) ने आज दोपहर 1:15 बजे एक और सफलता हासिल कर ली है। इसरो ने चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module of Chandrayaan-3) को लैंडर और रोवर (lander and rover) से अलग कर दिया है। अब चंद्रमा की कक्षा (moon orbit) में रहकर प्रोपल्शन मॉड्यूल धरती से आने वाले रेडिएशन का अध्ययन करेगा। वहीं, लैंडर रोवर (lander rover) 23 अगस्त की शाम 5:47 बजे चंद्रमा की सतह (lunar surface) पर उतरेंगे।

यहां वह 14 दिन तक रहकर चांद पर पानी की खोज समेत अन्य प्रयोग करने वाले हैं। आज दोपहर सेपरेशन बाद विक्रम लैंडर ने प्रोपल्शन मॉड्यूल से कहा- थैक्स फॉर द राइड मेट। इसरो का कहना है कि लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल के अलग हो जाने के बाद शुक्रवार शाम 4 बजे लैंडर को डीबूस्टिंग के माध्यम से थोड़ी निचली कक्षा में ले जाया जाना है।

बता दें 16 अगस्त की सुबह 08:30 बजे चंद्रयान-3 के थ्रस्टर कुछ देर के लिए फायर किए गए थे। फिर चंद्रयान 153 Km X 163 Km की कक्षा में आया था। मतलब चंद्रमा से चंद्रयान-3 की सबसे कम दूरी 153 Km और सबसे अधिक दूरी 163 किलोमीटर हो गई थी। प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाने के बाद अब लैंडर को डीबूस्ट किया जाना है। इसका मतलब है कि उसकी रफ्तार कम की जाएगी। यहां से चंद्रमा की न्यूनतम दूरी 30 किलोमीटर रहेगी। सबसे कम दूरी से 23 अगस्त को चंद्रयान (Chandrayaan-3) की सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश की जाएगी।

Chandrayaan-3 Live Update: चंद्रयान-3 का लैंडर हुआ प्रोपल्शन से अलग, अब चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा

Chandrayaan-3: 30 किमी की ऊंचाई से लैंड कराना बहुत अहम

लैंडर को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रमा की सतह पर लैंड कराने तक की यह प्रक्रिया बहुत अहम होगी। चंद्रयान-3 को परिक्रमा करते हुए 90 डिग्री कोण पर चंद्रमा की ओर चलना शुरू करना होगा। लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होने पर चंद्रयान-3 की रफ्तार 1.68 किलोमीटर प्रति सेकेंड होगी।

इसे थ्रस्टर की सहायता से कम कर सतह पर सुरक्षित उतारा जाएगा। 22 दिनों की यात्रा के बाद 5 अगस्त की शाम 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) पहुंचा था, उस दौरान उसकी गति कम की गई थी। ताकि यान चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके। इसरो वैज्ञानिकों ने गति कम करने के लिए चंद्रयान-3 के फेस को पलटकर थ्रस्टर 1835 सेकेंड यानी आधे घंटे के लिए फायर किए। यह फायरिंग शाम 7:12 बजे शुरू हुई थी।

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