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Chandrayaan-2: मिशन ‘चंद्रयान-2’ को मिली बड़ी सफलता, चांद की सतह पर लगाया पानी की मौजूदगी का पता

Chandrayan-2: भारत के आंशिक रूप से सफल रहे ‘चंद्रयान-2’ मिशन को उस वक्त बड़ी कामयाबी हाथ लगी जब उसने चांद की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी का पता लगाया। चंद्रयान-2 के द्वारा भेजे गए आंकड़ों से इस बात की पुष्टि हुई है।

अनुसंधान में हुआ खुलासा

अंतरिक्ष अनुसधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष ए एस किरण कुमार के मार्गदर्शन में जारी एक अनुसंधान में इस बात का खुलासा हुआ है। अनुसंधान में कहा गया है कि ‘चंद्रयान-2’ में लगे उपकरणों में इमेजिंग इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर (आईआईआरएस) नामक उपकरण भी है, जो वैश्विक वैज्ञानिक आंकड़े प्राप्त करने के लिए 100 किलोमीटर की एक ध्रुवीय कक्षा से संबंध रखकर काम कर रहा है। रिसर्च करंट नाम की साइंस पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

आंशिक सफल रहा था मिशन

आईआईआरएस से मिले शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक चंद्रमा पर 29 डिग्री उत्तरी और 62 डिग्री उत्तरी अक्षांश के बीच व्यापक जलयोजन और अमिश्रित हाइड्रोक्सिल (ओएच) और पानी (एच2ओ) अणुओं की मौजूदगी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। चंद्रमा के अंधकार से भरे मैदानी इलाकों की तुलना में प्लेजियोक्लेस प्रचुर चट्टानों में अधिक ओएच (हाइड्रोक्सिल) या संभवत: एच2ओ (जल) अणु पाए गए हैं। गौरतलब है भारत का दूसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-2 22 जुलाई 2019 को चांद के लिए रवाना हुआ था। उस वक्त सात सितंबर को योजनानुसार इसमें लगा लैंडर विक्रम चांद के दक्षिण ध्रुव क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग करने में असफल रहा था।

चंद्रयान-2 से मिल रही है जानकारी

भारत का चांद के राज जानने का सपना भले ही पूरी नहीं हुआ, लेकिन इस मिशन से कुछ कामयाबी भी मिली है, जिससे आगे के मिशन में भारत को मदद मिलेगी। चंद्रयान-2 के लैंडर केअंदर ‘प्रज्ञान नाम का रोवर भी था। मिशन का ऑर्बिटर अब भी अच्छी तरह काम कर रहा है और यह देश के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 को आंकड़े भेजता रहा है।

800 से 1000 पीपीएम पानी:

आर्बिटर के इमेजिंग इंफ्रारेड स्पेक्टोमीटर से जो आंकड़े मिल रहे हैं, उसका विश्लेषण देहरादून स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिग (आईआईआरएस) समेत देश के विभिन्न विज्ञानी कर रहे हैं। आईआईआरएस के निदेशक प्रकाश चौहान के मुताबिक, पूर्व में चंद्रयान-एक मिशन के दौरान की पानी के संकेत मिले थे। हालांकि, तब पानी की अधिक उपलब्धता का अनुमान नहीं था। वर्तमान अध्ययन से पता चलता है कि चांद में पानी की उपलब्धता 800 से 1000 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) पाई गई है। आर्बिटर के आईआईआरएस से प्राप्त हो रहे आंकड़ों का निरंतर विश्लेषण किया जा रहा है। उम्मीद है कि निकट भविष्य में चांद के तमाम रहस्यों पर से पर्दा उठ पाएगा।

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