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केंद्र सरकार ने HC में क्यों कहा अनिल अंबानी के 6 हजार करोड़ रुपयों के लिए नहीं रोक सकते दिल्ली की सांसें ?

पैसों के लिए तरस रहे अनिल अंबानी को केंद्र की तरफ से करारा झटका लगा है। DMRC के साथ करार टूटने के मामले में कोर्ट ने अनिल अंबानी को 8 हजार करोड़ रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी 2017 में इस पर मुहर लगा दी थी। लेकिन छह साल बीतने के बाद भी रिलायंस इंफ्रा को केवल 1678.42 करोड़ रुपये ही मिल सके हैं। DMRC से उन्हें अभी भी 6330.96 करोड़ रुपये मिलने बाकी हैं।

मेट्रो रुकते ही दिल्ली की सांसें थम जाएंगी- सरकार

केंद्र के शहरी आवास मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने अपने जवाब में दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि वो किसी भी तरह से मेट्रो की संपत्ति को अटैच करने का आदेश नहीं दे सकते। मेट्रो दिल्ली की लाइफ लाइन है। इसके रुकते ही दिल्ली की सांसें थम जाएंगी। हाईकोर्ट ने मेट्रो के नुमाइंदे को शुक्रवार को कोर्ट में हाजिर रहने के लिए कहा है। कोर्ट का कहना था कि मेट्रो के पास मौजूद फंड का ब्योरा हासिल करने के बाद ही वो कोई ठोस फैसला ले सकता है। कोर्ट ने केंद्र के वकील से भी कहा कि वो कल उस आदेश को दिखाए जिसमें संपत्ति को अटैच न करने के लिए कहा गया है।

केजरीवाल सरकार ने खड़े कर दिए हाथ

दिल्ली सरकार इस मामले में पहले ही अपने हाथ खड़े कर चुकी है। उसका कहना है कि दो पार्टियों के बीच करार सिरे न चढ़ने के मामले में स्टेक होल्डर्स को निशाना न बनाया जाए। वो किसी भी तरह से इतनी बड़ी रकम का हिस्सा चुका पाने में असमर्थ हैं। दूसरी तरफ अनिल अंबानी अपने पैसों को लिए सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचे हैं। उनकी दलील है कि जब करार सिरे नहीं चढ़ा तो उन्हें वो रकम मिलनी चाहिए जो कोर्ट ने तय की है।

क्या है पूरा मामला ?

मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के साथ अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनी DAMEPL ने करार किया था। इसमें मेट्रो की लाइन बिछाने के साथ उसकी डिजाइन और मेंटीनेंस को लेकर काम किया जाना था। 2012 में दोनों के बीच विवाद हो गया और अंबानी की कंपनी ने करार को खत्म कर दिया। उसके बाद मामला Arbitration के लिए गया तो अंबानी ग्रुप के पक्ष में फैसला आया। सुप्रीम कोर्ट ने भी अनिल अंबानी के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था। मेट्रो का कहना था कि उसे इतना फंड जुटाने के लिए ओपन मार्केट में जाना होगा। मेट्रो ने केंद्र और दिल्ली सरकार से 35-35 सौ करोड़ रुपयों की मांग की थी।

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