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देशभर में गणेश चतुर्थी का उत्सव, इन उपायों से पाएं सुख, सौभाग्य और समृद्धि

कोरोना संक्रमण काल के चलते दो वर्ष से गणपति उत्सवों के पांडाल सूने-सूने रहे, लेकिन इस बार भक्तों में भारी उल्लास है। साथ ही इस साल गणेश चतुर्थी पर एक ऐसा दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है, जैसा भगवान गणेश के जन्मोत्सव के समय बना था। ऐसा संयोग 10 साल पहले बना था। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन स्वाति नक्षत्र में दोपहर के समय हुआ था। उस दिन बुधवार था। इस साल भी कुछ ऐसा ही संयोग बन रहा है। चतुर्थी तिथि की शुरुआत 30 अगस्त दोपहर 03.33 बजे से हो गई है। चतुर्थी तिथि की समाप्ति 31 अगस्त दोपहर 03.22 बजे होगी।

आज श्रीगणेश की स्थापना के शुभ मुहूर्त
लाभ, अमृत- सुबह 06 से 09 बजे तक
शुभ चौघड़िया- सुबह 10.30 से 12 बजे तक
चर और लाभ- दोपहर 03 बजे से शाम 06 बजे तक
शुभ और अमृत- शाम 7.30 बजे से रात 10.30 बजे तक
सबसे उत्तम योग: सुबह 11.20 से दोपहर 01.20 बजे के बीच

इस बार पांच दुर्लभ योग

  1. वार तिथि और नक्षत्र संयोग: इस बार गणेश चतुर्थी पर वे सारे योग-संयोग बन रहे हैं जो गणेशजी के जन्म के समय बने थे।
  2. लंबोदर योग: इस साल गणेश उत्सव पर दुर्लभ लंबोदर योग बन रहा है। यह योग पिछले 300 साल बाद बन रहा है इसलिए इसे लंबोदर योग कहा जा रहा है।
  3. राज योग: इस बार गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश के जन्म के समय बनने वने वीणा, वरिष्ठ, उभयचरी और अमला राज योग बन रहे हैं।
  4. रवि योग: 31 अगस्त की सुबह 05.38 बजे से रात्रि 12.12 बजे तक रवियोग के साथ शुक्ल योग बन रहा है।
  5. ग्रह संयोग: गणेश चतुर्थी के दिन चार ग्रह अपनी स्वराशि में रहेंगे। बृहस्पति मीन में, शनि मकर में, बुध कन्या में और सूर्य सिंह राशि में रहकर शुभ योग निर्मित कर रहे हैं।

गणेश जी को अलग अलग भोग लगा करके भी प्रसन्न कर सकते हैं.

गणेश महोत्सव के दौरान भगवान गणेश को प्रसन्न कर उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है. इसके लिए गणेश जी को 10 दिन में 10 भोग लगाएं.
1. पहले दिन मोदक का भोग लगाएं.
2. दूसरे दिन बेसन के लड्डू का भोग लगाएं.
3. तीसरे दिन मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं.
4. चौथे दिन केले का भोग लगाना चाहिए.
5. पांचवें दिन खीर का भोग लगाना चाहिए.
6. छठे दिन मेवे का भोग लगाएं.
7. सातवें दिन नारियल के लड्डू का भोग लगाएं.
8. आठवें दिन दूध से बनी मिठाई का भोग.
9. नौवें दिन श्रीखंड का भोग .
10. 10वें दिन मालपुआ का भोग लगाएं.

गणपति पूजा से जुड़ी ध्यान रखने वाली बातें

  • गणेशजी की मूर्ति पर तुलसी और शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
  • दूर्वा और मोदक के बिना पूजा अधूरी रहती है।
    -गणपति के पसंदीदा फूल: जाती, मल्लिका, कनेर, कमल, चम्पा, मौलश्री (बकुल), गेंदा, गुलाब।
    -गणपति के पसंदीदा पत्ते: शमी, दूर्वा, धतूरा, कनेर, केला, बेर, मदार और बिल्व पत्र।
    -पूजा में नीले और काले रंग के कपड़े न पहनें।
    -चमड़े की चीजें बाहर रखकर पूजा करें और भगवान को अकेले कभी न छोड़ें।
  • स्थापना के बाद मूर्ति को इधर-उधर न रखें, यानी हिलाएं नहीं।
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