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500 करोड़ रुपये तक जा सकता है झंडों का करोबार, 50 गुना बढ़ी बिक्री, हर दिन बन रहे 25 लाख झंडे

नई दिल्ली। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में हर घर तिरंगा अभियान को लेकर बाजारों में झंडे की मांग बढ़ गई है। थोक विक्रेताओं से लेकर फैक्ट्रियों तक बंपर ऑर्डर मिल रहे हैं। दुकानदार मांग पूरी नहीं कर पा रहे हैं। सामान्यत: पिछले वर्ष तक 15 से 20 लाख तक झंडे बेचे जाते थे, लेकिन इस बार बाजार में बीते डेढ़ सप्ताह के अंदर एक करोड़ से अधिक के झंडे की बिक्री हो चुकी है। अभी दो करोड़ की और मांग है। व्यापारियों ने बताया कि ऑर्डर समय पर पूरा करने के लिए दिन-रात फैक्ट्रियों में काम चल रहा है।

सरकार के इस अभियान के कारण इस वर्ष झंडे की बिक्री कई गुना बढ़ गई है। इस अभियान का सीधा फायदा झंडे बनाने वाले कारोबारियों को हो रहा है। जिन्हें सरकार के इस कदम के चलते 25 से 30 करोड़ तिरंगे बिकने की उम्मीद है।

केंद्र सरकार ने इस बार पॉलिएस्टर व मशीन से बने झंडे भी फहराने की इजाजत दे दी है। इसके सबसे ज्यादा ऑर्डर गुजरात में सूरत के करोबारियों को मिले है। व्यापारियों का कहना है कि हर साल 15 अगस्त 200 से 250 करोड़ रुपये के तिरंगे बिकते हैं। मगर इस वर्ष इनकी बिक्री 500 से 600 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन से जुड़े व्यापारियों ने अमरउजाला से कहा कि सूरत के व्यापारियों को 10 करोड़ झंडों के ऑर्डर मिले हैं। पहले तिरंगे खादी और दूसरे कपड़े से ही बनता था। मगर अब भारतीय ध्वज संहिता में बदलाव करते हुए सरकार ने पॉलिएस्टर व मशीनों से भी झंडे बनाने को मंजूरी दे दी है। इसके देखते हुए कई व्यापारियों ने पहली बार तिरंगा बनाने का काम भी शुरू कर दिया है। इन व्यापारियों को जो ऑर्डर मिले हैं, इनमें ज्यादातर झंडे केंद्र सरकार से और कुछ ऑर्डर राज्य सरकार ने भी दिए हैं। सरकारी ऑर्डर वाले झंडे 16×24 और 20×30 इंच के होंगे, जिनकी कीमत 20 से 35 रुपये है।

इधर दिल्ली के झंडा करोबारियों को भी पिछले वर्ष की तुलना में इस साल बड़ा करोबार मिला है। यहां करीब 4 से 5 करोड़ झंडे बिकने की उम्मीद है। जबकि पहले स्वतंत्रता दिवस पर महज 40 से 50 लाख झंडे ही बिकते थे। सदर बाजार में झंडों के थोक व्यापारी विवेक जैन अमर उजाला से बातचीत में कहते हैं कि छोटे-छोटे व्यापारियों को 10 लाख तिरंगे बनाने का ऑर्डर इस बार मिला है। यह पहली बार है जब इतने ऑर्डर छोटे व्यापारियों को मिले हैं। इनमें से आधे ऑर्डर केंद्र सरकार और आधे निजी कंपनियों से मिले हैं। यहीं नहीं औद्योगिक क्षेत्रों के कारखाना मालिक भी अपने कर्मचारियों के लिए इस बार तिरंगे खरीद रहे हैं। कंपनी के पॉली कॉटन के 20×30 इंच तिरंगे झंडे की कीमत 22 से 23 रुपये है।

इस बीच दिल्ली में झंडे निर्माताओं के लिए मांग पूरी करना मुश्किल हो गया है। हालात यह है कि राष्ट्रीय ध्वज की भारी मांग के अनुरूप आपूर्ति कर पाना कारोबारियों और विनिर्माताओं के लिए कठिन हो गया है। व्यापारियों ने दावा किया है कि 22 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अभियान की घोषणा किए जाने के बाद से सभी प्रकार के तिरंगे की बिक्री 50 गुना बढ़ गई है। हालांकि, मध्यम आकार के राष्ट्रीय ध्वज की मांग हमेशा बनी रहती है। कारोबारी हर दिन लगभग 25 लाख झंडे तैयार कर रहे हैं। लेकिन मांग और भी अधिक है। पूरे भारत से ऑर्डर आ रहे हैं। क्योंकि देश के राज्यों में झंडे की कमी है। इसलिए लोग जहां से हासिल कर सकते हैं। वहां से झंडे प्राप्त कर रहे हैं

कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स के अनुसार, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, ओडिसा, बिहार, राजस्थान, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में बेहद बड़े स्तर पर तिरंगे झंडे तैयार करने का काम चल रहा है। छोटे से लेकर बड़े साइज के झंडे न केवल तैयार हो रहे हैं। बल्कि देश भर में इन झंडों की सप्लाई का काम भी जारी है। केंद्र सरकार ने 20 जुलाई को फ्लैग कोड में संशोधन कर राष्ट्रीय ध्वज को घरों पर लगाने के नियम आसान किए गए हैं। इनके मुताबिक अब लोग अपने घरों में दिन-रात राष्ट्रीय ध्वज लगा सकते हैं। इस संशोधन के बाद तिरंगे झंडे खरीदने में ज्यादा तेजी दिखाई दी है।

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