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Budget 2022-23: आज आर्थिक सर्वेक्षण, कल पेश होगा बजट, जानिए क्या खास है उम्मीदों के पिटारे में

Budget 2022-23: यूनियन बजट 2022-23 से हम महज एक दिन दूर खड़े हैं। केंद्र की मोदी सरकार का दसवां बजट 1 फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में सुबह 11 बजे पेश करेंगी। इससे पहले संसद का बजट सत्र 31 जनवरी को राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ शुरू होगा। राष्‍ट्रपति संसद के सेंट्रल हॉल में दोनों सदनों को संबोधित करेंगे। इसके बाद वित्तमंत्री सदन में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेंगी। आर्थिक सर्वेक्षण एक साल में देश के आर्थिक विकास का लेखा-जोखा होता है। इसके आधार पर यह अंदाजा लगाया जाता है कि पिछले एक साल से अंदर देश की अर्थव्यवस्था किस तरह की रही। किन मोर्चों पर फायदा मिला और कहां नुकसान हुआ। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इकोनॉमिक सर्वे पिछले एक साल के अंदर देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर पेश करता है। इसी इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर यह तय किया जाता है कि आने वाले साल में अर्थव्यवस्था के अंदर किस तरह की संभावनाएं हैं। खास बात यह है कि इस सर्वे के आधार पर सरकार को सुझाव भी दिए जाते हैं, लेकिन इन्हें लागू करना है या नहीं करना सरकार की जिम्मेदारी होती है। यही वजह है कि इकोनॉमिक सर्वे बजट के ठीक पहले संसद में पेश किया जाता है।

आज आर्थिक सर्वेक्षण होगा पेश

बजट सत्र से ठीक पहले सरकार ने शुक्रवार यानी 28 जनवरी को डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन को चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर नियुक्त किया गया। डॉ. नागेश्वरन इकोनॉमिक सर्वे पर 31 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में इकोनॉमिक सर्वे पेश करने के बाद नागेश्वरन की प्रेस वार्ता होगी। इस बार बजट सत्र के पहले दो दिनों के दौरान संसद के दोनों सदनों में शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं होगा। देश में कोरोना महामारी का प्रकोप शुरू होने के बाद यह दूसरा बजट है। यह बजट ऐसे समय आ रहा है, जब देश महामारी की तीसरी लहर से जूझ रहा है। इस कारण आम से लेकर खास तक इस बजट से काफी उम्मीद लगाए बैठे हैं। यूनियन बजट 2022 इस बार भी पेपरलेस होगा। वित्तमंत्री टैबलेट के जरिये बजट पेश करेंगी। बजट को कोई हार्ड कॉपी नहीं छापी गई है। इसे मोबाइल एप से पढ़ा और डाउनलोड किया जा सकता है।

इन मुद्दों पर हो सकता है फोकस

बढ़ती महंगाई, एग्री सेक्टर और किसानों की परेशानियां, आत्मनिर्भर भारत, बढ़ते खतरों के बीच डिफेंस पर ध्यान, टैक्स नियमों और डिडक्शन को लेकर बदलाव आदि अहम मुद्दे हैं, जिनके ऊपर इस बजट में खास फोकस रहने की उम्मीद है।

महामारी से ज्यादा बड़ा खतरा है महंगाई

  • मोदी सरकार का पहला कार्यकाल महंगाई के लिहाज से अच्छा रहा था। हालांकि इस दूसरे कार्यकाल में चीजें उतनी अच्छी नहीं रह गईं और पिछले 1-2 साल से महंगाई फिर लोगों को डराने लग गई।
  • हाल ही में जारी हुए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में खुदरा महंगाई की दर 5.59 फीसदी रही, जो पिछले 6 महीने में सबसे ज्यादा है। थोक महंगाई दर 13.56 फीसदी रही।
  • ऐसे में हर कोई उम्मीद कर रहा है कि सरकार बजट में महंगाई को काबू करने के उपाय करेगी।
  • सरकार के लिए यह बड़ी चुनौती है क्योंकि इकोनॉमिस्ट और एनालिस्ट फिलहाल महंगाई को महामारी से ज्यादा बड़ा खतरा मान रहे हैं।

टैक्स को लेकर सैलरीड क्लास की सोच

  • आम आदमी को उम्मीद है कि इस बार के बजट में सरकार बेसिक एग्जेम्पशन लिमिट को 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए करेगी। इससे कम आय से प्रभावित लोगों की जेब में अधिक पैसा आएगा।
  • इस बजट में लोग उम्मीद कर रहे हैं कि 80सी के तहत मिलने वाली छूट की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए।
  • सैलरीड क्लास इस बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि की उम्मीद कर रहा है। उम्मीद की जा रही है कि वित्तमंत्री इसे 50,000 रुपए से बढ़ाकर सालाना 75,000 रुपए कर सकती हैं।

वर्क फ्रॉम होम के खर्च पर टैक्स छूट

कोरोना महामारी के चलते इंडस्ट्री, कॉर्पोरेट यहां तक मीडिया में भी एक नया ट्रेंड देखने को मिला, वर्क फ्रॉम होम। सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में वर्क फ्रॉम होम होने लगा। ऐसे में नौकरीपेशा को अपने घर में ही ऑफिस सेटअप करना पड़ रहा है। इस पर खर्च तो होता है, लेकिन, कोई छूट नहीं है। वित्तमंत्री से लोगों की उम्मीदें हैं कि इस बजट में वर्क फ्रॉम होम कल्चर को ध्यान में रखते हुए कोई विशेष छूट दी जाए। संभावना है कि ऐसी कोई व्यवस्था की जाएगी जिससे एम्प्लॉई और एम्प्लॉयर दोनों को फायदा हो।

रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट देने की तैयारी

  • महामारी के चलते मंदी की मार झेल रहे रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन सेक्टर को बूस्ट देने की तैयारी है।
  • होम लोन पर मिलने वाली अतिरिक्त टैक्स छूट का दायरा बढ़ाया जा सकता है। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में डिमांड लाने के लिए सरकार कदम उठा सकती है।
  • सरकार बजट 2022 में अफोर्डेबल हाउसिंग के तहत पहली बार घर खरीदने वालों को ब्याज पर मिलने वाली 1.5 लाख रुपए तक की अतिरिक्त छूट को एक साल के लिए बढ़ा सकती है।

मेडीक्लेम पॉलिसी की प्रीमियम कम हो

  • कोरोना ने लोगों का मेडिकल खर्च बढ़ाया है। ऐसे में आम आदमी को मेडीक्लेम पॉलिसी प्रीमियम पर जीएसटी की दर कम करने की उम्मीद है। -अभी यह 18 फीसदी है। इसे घटाकर 5 फीसदी किया जाना चाहिए। अभी 18 फीसदी टैक्स के चलते प्रीमियम बहुत बढ़ जाता है।
  • प्रीमियम ज्यादा होने से कई लोग हेल्थ पॉलिसी लेने से कतराते हैं। इस बार बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इस बारे में ऐलान कर सकती हैं।

एलटीसीजी टैक्स में राहत की उम्मीद

  • शेयर बाजारों और म्यूचुअल फंड निवेशकों को अलग-अलग लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) टैक्स में राहत की उम्मीद है।
    -बजट 2018 तक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन इन्वेस्टर के लिए टैक्स फ्री था। वर्तमान में, एक वित्त वर्ष में 1 लाख तक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स फ्री होता है। उसके बाद 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है।
  • एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में लिस्टेड इक्विटी शेयरों की बिक्री पर एलटीसीजी टैक्स समाप्त होने से स्टॉक एक्सचेंज के जरिए निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

इन्फ्रास्ट्रक्चर और रोजगार बढ़ाने पर हो जोर

सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चर और रोजगार बढ़ाने को प्राथमिकता में शामिल करने की जरूरत है। इसके लिए इकोनॉमी को मजबूत करना होगा। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकार को फिर से राजकोषीय स्थिति में सुधार के उपायों पर फोकस करना चाहिए। पिछले दो साल से कोरोना की महामारी से निपटने के लिए सरकार ज्यादा खर्च कर रही है। इसका असर सरकार की तिजोरी पर पड़ा है। हालांकि, हालात अब ठीक हो रहे हैं।

किसानों की आय नहीं हो पाई डबल

  • जब नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने तो उनकी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य तय किया। इसे लेकर 13 अप्रैल 2016 में फार्मर्स इनकम कमेटी बनाई गई।
  • सरकार ने मार्च 2022 तक किसानों की आय डबल करने का टारगेट तय किया था। अब महज दो महीने में यह समय पूरा हो जाएगा, लेकिन किसानों की हालत लक्ष्य के अनुकूल नहीं सुधर पाई है।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार, अभी किसानों की औसत आय 10,218 रुपए मासिक है और इसमें खेती से सिर्फ 3,798 रुपए की कमाई हो रही है।
  • 10 साल पहले किसानों को 50 फीसदी कमाई खेती से हो रही थी। बजट में इसे सुधारने के उपाय किए जा सकते हैं।
  • अनुमान है कि कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार 2022-23 के बजट में कृषि ऋण के लक्ष्य को बढ़ाकर 18 लाख करोड़ रुपए कर सकती है।

इस बार भी स्वास्थ्य क्षेत्र पर होगा जोर

कोरोना महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बीच वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र पर इस बार भी सरकार का विशेष जोर होने की उम्मीद जताई जा रही है। फार्मा उद्योग को उम्मीद है कि इस बजट में हेल्थकेयर सेक्टर के लिए कुल फंड आवंटन में बढ़ोतरी की जाएगी। जैसा कि कोरोना का प्रकोप जारी है और इसकी तीसरी लहर देश में अपना असर दिखा रही है उसे देखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र को बजट में सबसे अधिक प्राथमिकता मिलने की संभावना है।

कैसा होगा रेलवे का बजट

  • इस बार रेलवे के लिए ज्यादा पैसों को बंदोबस्त किया जा सकता है। साथ ही कई शहरों के लिए सेमी हाई स्पीड ट्रेनें शुरू करने की घोषणा की जा सकती है।
  • ये ट्रेनें वंदे भारत की तरह हो सकती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को घोषणा की थी कि 75 हफ्ते में 75 वंदे भारत ट्रेनें चलाई जाएंगी।
  • बजट में रोल स्टॉक्स पर भी फोकस रह सकता है। मौजूदा ट्रेनों को पूरी तरह बदलने के लिए 6500 एल्युमीनियम कोच, 1240 लोकोमोटिव्स और करीब 35,000 वैगन बनाने का प्रस्ताव है। एल्युमीनियम के कोच हल्के होते हैं और इनमें ऊर्जा की कम खपत होती है।
  • रेलवे की योजना छोटे कारोबारियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फ्रेट आॅपरेशन में ईएमयू शुरू करने की भी है।
  • रेलवे की लॉजिस्टिक्स कॉस्ट को 14 फीसदी से घटाकर 11 फीसदी करने के लिए भी बजट में घोषणा हो सकती है। इन उपायों से कार्गो की ट्रांसपोर्ट कॉस्ट में चार फीसदी कमी आ सकती है।
  • सरकार नई टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए बजट में कुछ प्रावधान कर सकती है।

फिर से बढ़ेगा रक्षा बजट

मोदी सरकार के कार्यकाल पर रक्षा पर खर्च लगातार बढ़ा है। 2014 में भारत का रक्षा बजट 2.29 लाख करोड़ रुपए का था। पिछले साल पेश बजट में डिफेंस के लिए 4.78 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। इस तरह भारत का रक्षा बजट दो गुने से ज्यादा हो चुका है। चीन के साथ सीमा पर बढ़े तनाव को देखते हुए रक्षा के मामले में भारत को अपनी स्थिति में काफी सुधार करने की जरूरत है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बजट में पहली बार डिफेंस सेक्टर को 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन हो सकता है।

क्रिप्टोकरंसी पर सबकी निगाहें

दुनिया के कई देशों में क्रिप्टोकरंसी को रेगुलेशन की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, लेकिन भारत में क्रिप्टोकरंसी बिल आने के संकेतों के बीच वर्चुअल करंसी की दुनिया पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पहले शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी बिल पेश होने का अनुमान था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब अटकलें लग रही हैं कि बजट सत्र में क्रिप्टोकरंसी बिल पेश किया जा सकता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार निजी क्रिप्टोकरंसीज पर बैन लगाएगी या इससे होने वाली कमाई पर टैक्स।

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