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कर्ज में डूबी वोडाफोन – आइडिया को बचाने की आखिरी कोशिश, बिड़ला ग्रुप अपनी हिस्सेदारी सरकार को देने को तैयार

नई दिल्ली। भारी कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड में आदित्य बिड़ला ग्रुप अपनी प्रमोटर हिस्सेदारी छोड़ने को तैयार हो गया हैं। आदित्य बिड़ला ग्रुप ने सरकार को खत लिखकर कहा है कि वह कंपनी के अस्तित्व बचाने के लिए वो किसी भी सरकारी या घरेलू फाइनेंशियल कंपनी को अपनी हिस्सेदारी देने को तैयार है।

बिड़ला ग्रुप के पास है 27 फीसदी हिस्सेदारी

कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को लिखे पत्र में आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा है कि वह कंपनी पर अपना नियंत्रण छोड़ने को भी तैयार हैं। इस वक्त कंपनी में उनकी 6401 करोड़ रुपए की 27 फीसदी और वोडाफोन PLC की 44 फीसदी हिस्सेदारी है। कंपनी का मौजूदा मार्केट कैप 23,706.70 करोड़ रुपए है,लेकिन कंपनी के बदतर हालत को देखते हुए दोनों प्रमोटर्स ने अब और निवेश नहीं करने का फैसला किया है।

स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज पर है विवाद

वोडाफोन इंडिया पर वर्तमान में करीब 1.8 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। कंपनी के हालत खराब दरअसल लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज को परिभाषित करने के विवाद से हुए हैं। इस मामले में ऑपरेटर चाहते थे कि केवल टेलीकॉम संबंधी जरूरी सेवाओं से होने वाली कमाई को ही सरकार साझा करें जबकि, सरकार किराए, डिविडेंड, ब्याज और अचल संपत्ति को बेचने से होने वाली कमाई जैसी सभी चीजों में अपना हिस्सा चाहती है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की मांग को उचित ठहराया।

शीर्ष कोर्ट ने खारिज की याचिका

वोडाफोन-आइडिया ने भारती एयरटेल के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की दोबारा गणना को लेकर याचिका लगाई थी, लेकिन पिछले सप्ताह शीर्ष कोर्ट ने इसको खारिज कर दिया। 2018 में वोडाफोन PLC और आइडिया के विलय के वक्त कंपनी का मूल्यांकन 1.55 लाख करोड़ रुपए था, जो अब 85 फीसद घट चुका है।

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