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Bhai Dooj 2021: बहन के घर भोजन करने से भाई को होती है समस्त सुखों की प्राप्ति, जानिए भाई दूज का शास्त्रोक्त महत्व

Bhai Dooj 2021: भाई-बहन के स्नेह, विश्वास और एक दूसरे के प्रति समर्पण का प्रतीक भाई दूज का पर्व दिपोत्सव के अंतिम यानी पांचवें दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भाई के मस्तक पर बहन के द्वारा तिलक लगाने से भाई की उम्र लंबी होती है और उसको सुख-समृद्धि के साथ आरोग्य का वरदान मिलता है।

यमुना औऱ यमराज के स्नेह का प्रतीक है भाई दूज

देशभर में विशेषकर उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में भाई दूज को मनाने की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है। भाई दूज क्यों मनाई जाती है इसकी एक पौराणिक कथा का शास्त्रों में वर्णन किया गया है। भगवान सूर्य देव की पत्नी का नाम छाया था। सूर्यदेव और छाया से दो बच्चे यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ। दोनों भाई-बहन में बड़ा स्नेह था। इसलिए वह भाई यमराज से अक्सर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। किंतु अपने कार्य में व्यस्त यमराज बहन यमुना के निवेदन को टाल देते थे।

यमुना के घर भोजन के लिए पधारे थे यमराज

एक दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को बहन यमुना ने भाई यमराज को भोजन का निमंत्रण दिया औऱ उनको अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया। यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। किंतु बहन यमुना ने मुझे आमंत्रित किया है इसलिए उसके आमंत्रण को स्वीकार कर उसके घर जाना मेरा परम धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना को बहुत प्रसन्नता हुई। उसने स्नान कर पूजन किया और स्वादिष्ठ व्यंजन परोसकर भाई यमराज को भोजन कराया। यमुना के आतिथ्य से प्रसन्न होकर यमराज ने वर मांगने को कहा।

भाई को होती है सर्व सुखों की प्राप्ति

यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर भोजन के लिए पधारा करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके तिलक करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण दिए और यमलोक के लिए रवाना हो गए। इसी दिन से धरतीलोक पर भाई दूज मनाने की परम्पराका प्रारंभ हुआ। मान्यता है कि जो भाई इस दिन बहन का आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज के अवसर पर यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है। इस दिन बहन के हाथों का बना भोजन ग्रहण करने से भाई को धर्म, धन, अर्थ, आयुष्य और विविध प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन संध्याकाल में घर के बाहर चार बत्तियों से युक्त दीपक जलाकर दीप-दान करना भी शुभ फलदायी होता है।

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