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20 साल वाले 10 लाख के होम लोन पर करीब 300 रु. ईएमआई बढ़ेगी

नई दिल्ली। रेपो रेट वो दर होती है जिस पर RBI से बैंकों को कर्ज मिलता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते है जिस दर पर बैंकों को RBI पैसा रखने पर ब्याज देती है। जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंक भी ज्यादातर समय ब्याज दरों को कम करते हैं। यानी ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें कम होती हैं, साथ ही EMI भी घटती है। इसी तरह जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण ग्राहक के लिए कर्ज महंगा हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कॉमर्शियल बैंक को केंद्रीय बैंक से उच्च कीमतों पर पैसा मिलता है, जो उन्हें दरों को बढ़ाने के लिए मजबूर करता है।

रिजर्व बैंक ने मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के बाद रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है जिसके बाद रेपो रेट 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया है। आरबीआई के इस फैसले के बाद सरकारी से लेकर निजी बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां लोन की ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेंगी जिसके बाद आपकी ईएमआई महंगी हो जाएगी। इससे पहले भी 4 मई को आरबीआई ने रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी थी जिसके बाद बैंक से लेकर हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों ने होम लोन पर ब्याज दरों में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी थी, लेकिन इस बार रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी हुई है जिसके बाद ईएमआई और ज्यादा महंगी होगी।

रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते है जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है। रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से कर्ज महंगा हो जाता है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी की बैठक के फैसलों का एलान करते हुए महंगाई को लेकर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से जारी युद्ध से सप्लाई चेन पर पड़े प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा कि महंगाई पर लगाम लगाने के लिए मजबूरी में इस तरह का निर्णय किया गया है। इसके अलावा बॉन्ड यील्ड चार साल में पहली बार 7.5 फीसदी पर पहुंच गई। वहीं क्रूड के दाम में तेजी का सिलसिला जारी है।

आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत रही। यह केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से कहीं अधिक है। आरबीआई को खुदरा महंगाई दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।

सिलसिला यहीं थमने वाला नहीं

बहरहाल आरबीआई ने दो चरणों में रेपो रेट में 0.90 फीसदी का इजाफा किया है, लेकिन ईएमआई के महंगे होने का सिलसिला यहीं थमने वाला नहीं है। अगर महंगाई से राहत नहीं मिली तो आरबीआई आने वाले दिनों में फिर से ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला ले सकता है जिससे होम लोन की ईएमआई और भी महंगी हो सकती है।

होम लोन पर अब इतनी ईएमआई

लोन राशि अवधि अभी ईएमआई आगे ईएमआई
20 लाख 20 साल 15,326 रु. 16,419 रु.
30 लाख 20 साल 22,721 रु. 24,351 रु.
50 लाख 20 साल 39,519 रु.42,290 रु

कार लोन की ईएमआई

एसबीआई कार लोन की ब्याज दर वर्तमान में 7.45 प्रतिशत सालाना है। यदि एसबीआई कार ऋण की ब्याज दर 7.45 प्रतिशत से बढ़कर 8.35 प्रतिशत हो गई। ऐसे में यदि आपके पास 20 साल की अवधि के लिए 10 लाख रुपए का कार लोन है, तो आपकी ईएमआई 8,025 रुपए से बढ़कर 8,584 हो जाएगी। यानी 559 रुपए की वृद्धि हुई।

पर्सनल लोन की ईएमआई

एसबीआई के पर्सनल लोन पर इस वक्त 7.05 प्रतिशत ब्याज दर है। यदि यह बढ़कर 7.95 प्रतिशत हो जाती है तो 10 साल की अवधि के साथ आपके 10 लाख रुपए के बकाया पर्सनल लोन की ईएमआई 11,637 रुपए से बढ़कर 12,106 रुपए तक हो जाएगी। यानी 469 रुपए की वृद्धि होगी।

बैंकों पर असर दिखना शुरू

पीएनबी: आरबीआई के बुधवार को रेपो रेट में बढ़ोतरी के ऐलान के बाद पंजाब नेशनल बैंक ने रेपो रेट से जुड़े कर्ज की दर को 6.9 फीसदी से बढ़ाकर 7.4 फीसदी कर दिया है यानी कि दरों में 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पीएनबी की नई दरें 9 जून से प्रभावी होंगी। बीओआई: बैंक आॅफ इंडिया ने भी रेपो रेट से जुड़े कर्ज की दर में 0.50 फीसदी का इजाफा कर दिया है। अब बैंक ऑफ इंडिया में यह दर 7.25 फीसदी की बजाय 7.75 फीसदी होगी। बीओआई में बढ़ी हुई दरें बुधवार से ही प्रभावी हो गई हैं।

एचडीएफसी बैंक ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ बेस्ड लेंडिंग रेट्स (एमसीएलआर) 35 बेसिस प्वाइंट्स (0.35 फीसदी) बढ़ा दिया और यह बढ़ोतरी सभी टेन्योर के कर्ज के लिए है। बढ़ी हुई दरें 7 जून से प्रभावी हो चुकी हैं। बढ़ोतरी के बाद अब बैंक के लोन की एमसीएलआर 7.5-8.05 फीसदी हो गई है।

बचत करने वालों को होगा फायदा

अगर आप एनएससी, पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजनाओं जैसी बचत योजना में निवेश करते हैं तो आपके लिए खुशखबरी है। आरबीआई के एक बार फिर से 0.50 फीसदी रेपो रेट बढ़ाने के फैसले के बाद जून के आखिर इन बचत योजनाओं पर ब्याज दरें बढ़ाने का रास्ता साफ हो चुका है। एक महीने में आरबीआई ने रेपो रेट में 90 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है, जिसके बाद माना जा रहा है सरकार की बचत योजनाओं पर 0.50 से लेकर 0.75 फीसदी तक ब्याज दरें बढ़ाने का ऐलान हो सकता है। आपको बता दें वित्त मंत्रालय हर तिमाही के शुरू होने से पहले बचत योजनाओं के ब्याज दरों की समीक्षा कर उसकी घोषणा करता है। आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने के फैसले के बाद कई बैंकों ने डिपॉजिट्स पर ब्याज दरों को बढ़ाना शुरू कर दिया है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि 1 जुलाई से इन सरकारी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को बढ़ाया जाएगा।

ऐसे हैं देश में महंगाई के हालात

-अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई की दर 7.8 फीसदी रही थी, जो मई 2014 के बाद सबसे ज्यादा है।
-अप्रैल 2022 में थोक महंगाई की दर बढ़कर 15.08 फीसदी पर पहुंच गई थी, जो दिसंबर 1998 के बाद सबसे ज्यादा है।
-फूड इंफ्लेशन की बात करें तो यह मार्च के 7.68 फीसदी की तुलना में उछलकर अप्रैल में 8.38 फीसदी पर पहुंच गई थी।

शेयर बाजार में गिरावट

हफ्ते के तीसरे कारोबारी दिन बुधवार को भारतीय शेयर बाजार में 30 अंकों वाला सेंसेक्स 214.85 अंकों यानी 0.39% फिसद की गिरावट के साथ 54,892.49 के लेवल पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 75.80 अंक यानी 0.46% टूटकर 16,340.55 के लेवल पर बंद हुआ। ईएमआई और ज्यादा महंगी: केंद्रीय बैंक ने 34 दिन में दूसरी बार बढ़ाया रेपो रेट, 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया रेपो रेट

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