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चीन की हरकतों पर सेना की पैनी नजर, LAC पर एम-777 तोपों से बढ़ी ताकत

नई दिल्ली। एलएसी पर भारत और चीन सीमा विवाद के बीच सेना पहाड़ी इलाकों में एम-777 हॉवित्जर तोपों की और तैनाती कर सकता है। एक माह पहले सेना ने लद्दाख और एलएसी के पास इन सुपर पॉवर वाले तोपों की तैनाती की थी। सेना के सूत्रों के मुताबिक, कुछ दिन पहले अमेरिकी रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें बताया गया था कि चीन एलएसी के पास बस्ती बसा रहा है। इसे लेकर सीडीएस बिपिन रावत भी चिंता जता चुके हैं। उन्होंने कहा था कि देश का सबसे बड़ा दुश्मन चीन है।

अमेरिका से मिली 145 हॉवित्जर

भारत ने नवंबर 2016 में 75 करोड़ डॉलर में अमेरिका से 145 हॉवित्जर का ऑर्डर दिया था। सूत्रों के मुताबिक, जून 2022 तक सेना को 56 और ट777 तोपें मिलेंगी। अब तक 89 हॉवित्जर भारत को अमेरिका से मिल चुके हैं। एलएसी पर चीन की नापाक हरकत को देखते हुए सेना पूर्वी लद्दाख और उत्तराखंड के बाद अब अरुणाचल प्रदेश से लगने वाली सीमा पर मोचार्बंदी कर रहा है। चीन की ओर से तैयारियों को देखते हुए भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक के पहाड़ों पर अत्याधुनिक एल 70 विमानभेदी तोपें तैनात कर दी हैं। बताया जा रहा है कि इन पहाड़ों पर सुपर पॉवर से लैस एम-777 हॉवित्जर तोपों की तैनाती बढ़ सकती है।

40 किलोमीटर तक मारक क्षमता

40 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वालीं एम-777 हॉवित्जर तोपों से भारतीय सेना चीन को तगड़ा संदेश देना चाहती है। हॉवित्जर को आवश्यकता के आधार पर आसानी से एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में ले जाया जा सकता है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल एसएल नरसिम्हन (सेवानिवृत्त) ने कहा कि शेष एम-777 के शामिल होने से सेना की ताकत निश्चित ही बढ़ेगी।

विमानभेदी तोपे भी की तैनात

सीमा पार चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की गतिविधियों को देखते हुए एल-70 विमानभेदी तोपों की तैनाती तीन महीने पहले ही की जा चुकी है। पूर्वी क्षेत्र में बोफोर्स तोपों की तैनाती भी पूरी हो चुकी है। इससे चीन की तरफ से होने वाले किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने में भारत अब सक्षम हो गया है। सेना की तैनाती को बढ़ाने के लिहाज से सड़कों, पुलों और सुरंगों की भी मरम्मत कर उन्हें तैयार किया जा रहा है।

सैनिकों को दे रहे हैं प्रशिक्षण

इतना ही नहीं पर्वतीय इलाकों की जरूरतों के हिसाब से सैनिकों को प्रशिक्षण देकर उन्हें तैयार किया जा रहा है। ज्यादा ऊंचाई वाले स्थानों पर कम तापमान और कम ऑक्सीजन के बीच कैसे रहा जाए और युद्ध किया जा सकता है, इसके लिए सैनिकों का नियमित प्रशिक्षण चल रहा है। सैनिकों को आगे बढ़ते हुए कैसे दुश्मन के हमलों से बचना है, उनका जवाब देना है और उनके इलाके पर हमला बोलना है, इसका प्रशिक्षण भी तेज कर दिया गया है। बता दें कि कुछ दिन पहले अमेरिकी रिपोर्ट ने ये दावा किया था कि एलएसी पर चीन बस्ती बसा रहा है। इसे लेकर सीडीएस बिपिन रावत भी कई बार चीन के खिलाफ खुलकर बयानबाजी कर चुके हैं। उन्होंने कहा था चीन देश का सबसे बड़ा दुश्मन है।

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