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Anant Chaturdashi 2021: अनंत चतुर्दशी पर ऐसे करें गणेश विसर्जन, जानिए शास्त्रोक्त विधान और पूजा विधि

Anant Chaturdashi 2021: अनंत चतुर्दशी के दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विराजित किए गए गणपति-गजानन भगवान को विदाई देकर उनका पवित्र नदी या सरोवर में विसर्जन किया जाता है। इसके साथ ही 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव का समापन हो जाता है। 10 दिनों तक श्रीगणेश की विधि-विधान से पूजा करने के बाद विसर्जन में भी शास्त्रोक्त विधान का पालन करना चाहिए।

शास्त्रोक्त विधान से करें विसर्जन

गणपती की स्थापना डेढ़ दिन, 3 दिन, 5 दिन और 7 दिन भी की जाती है लेकिन अधिकांश स्थानों पर 10 दिनों तक गणेश स्थापना कर गणेशोत्सव मनाया जाता है और ग्यारहवें दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन के क्रम में सर्वप्रथम प्रतिदिन की जाने वाली आरती-पूजन-अर्चन करें। लड्डू, मोदक, श्रीफल, दूर्वा, पंचामृत, पंचमेवा आदि का भोग लगाएं। शास्त्रोक्त गणेश मंत्रों से स्वस्तिवाचन करें। स्वच्छ पाट को गंगाजल या गौमूत्र से पवित्र कर उसके ऊपर स्वास्तिक बनाएं और उस पर अक्षत रखें।

पूजा कर दे गजानन को विदाई

पाट पर पीला, गुलाबी या लाल वस्त्र बिछाकर सुगंधित फूलों की पंखुरियां बिखेरें। पाट के चारों कोनों पर चार सुपारी रखें। जयघोष के साथ गणेश प्रतिमा को पाट पर विराजित करें। गणेश प्रतिमा के साथ फल, फूल, वस्त्र, दक्षिणा और 5 मोदक रखें। एक लकड़ी पर चावल, गेहूं, पंच मेवा और दूर्वा की पोटली बनाकर बांधें। श्रीगणेश विसर्जन की यात्रा निर्विघ्न संपन्न हो, इसके लिए व्यवस्थित तैयारी करें।

सम्मान और आस्था से करें विसर्जन

समुद्रतट, नदी, तालाब या पोखर के किनारे पर विसर्जन से पूर्व श्रीगणेश की कपूर आरती करें। 10 दिनों तक स्थापना के दौरान हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें और उनसे सुख-समृद्धि और आरोग्य का आशीर्वाद मांगें। प्रतिमा को आहिस्ता-आहिस्ता जल में सम्मान और आस्था के साथ प्रवाहित करें। प्रतिमा के साथ उपयोग में लाई गई पूजन सामग्री का भी विसर्जन करें।

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