नई दिल्ली। लंबे समय तक अड़े रहने के बाद आखिर आखिर मोदी सरकार को सियासत के नीचे किसानों के बीच चल रहा आक्रोश दिखाई दे गया और सरकार ने पीछे हटते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया। पीएम मोदी की इस घोषणा का देश की राजनीति में खासकर दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में खासा असर देखने को मिलेगा।
भाजपा की दिक्कतें होगी कम
पीएम मोदी ने लंबे समय से चली आ रही उहापोह का चंद मिनटों में अंत कर दिया। इस एलान से सियासी समीकरण भी पूरी तरह से बदलते दिख रहे हैं। पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति में भाजपा की दिक्कतें अब कम होगी और किसानों के नाम पर सियासत करने वाले दलों को भी अब अपनी रणनीति नए सिरे से बनाना होगी। चुनावी साल को देखते हुए केंद्र सरकार ने किसानों के सामने नतमस्तक होने का फैसला लिया और माफी के साथ उनकी सभी मांगे मंजूर कर ली।
उत्तर प्रदेश की सियासत में होगा बदलाव
किसान आंदोलन के बवाल को देखते हुए समाजवादी पार्टी और रालोद को उम्मीद थी कि इसका फायदा आगामी चुनाव में मिलेगा और एक बार फिर उनका परचम पश्चिम उत्तर प्रदेश में देखने को मिलेगा, लेकिन अचानक आए इस मोड़ ने दिग्गज राजनेताओं की पेशानी पर बल ला दिया है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में अब सियासत का नया रुख देखने को मिलेगा। भाजपा एक बार फिर से पहले की तरह ही आक्रामक होकर प्रचार कर सकती है। जयंत चौधरी और अखिलेश यादव नई रणनीति के साथ चुनाव में जाएंगे।
पंजाब में मिल सकता है कैप्टन का साथ
पंजाब की सियासत में भी समीकरण बदल सकते हैं। कृषि कानून का विरोध कर रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह अब भाजपा से हाथ मिला सकते हैं। अकाली दल की भी भाजपा से दूरी कम हो सकती है। अकाली दल ने भी इसी मुद्दे पर भाजपा का साथ छोड़ा था। यदि तीनों साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो यह कांग्रेस और आप के लिए किसी झटके से कम नहीं होगा.
खट्टर सरकार की दुश्वारियां होगी कम
हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर सरकार को इन कानूनों को लेकर बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। अब खट्टर सरकार की मुश्किलें कम होने की संभावना है। सहयोगी दल जननायक जनता पार्टी के नेता भी इस कानून को लेकर असमंजस में थे। अब भाजपा के पास किसानों और सहयोगी दलों के दिलों को जीतने का सुनहरा मौका है।