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आखिर कैसे साबित होगा फव्‍वारा है या शिवलिंग ?

ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर देशभर में चर्चा है। मस्जिद परिसर के सर्वे में शिवलिंग निकलने के दावे के बाद यह चर्चा और गरम हो गई है। एक पक्ष इसे फव्‍वारा बता रहा है तो दूसरे का दावा है कि यह शिवलिंग ही है। ज्ञानवापी मामले में पक्षकार और याचिकाकर्ता सोहन लाल ने बताया कि कैसे साबित होगा कि यह शिवलिंग है। मस्जिद में सर्वे के दौरान सोहन लाल इस काम के लिए अधिकृत टीम के साथ अंदर गए थे। उन्‍होंने सर्वे के समय आंखों देखी चीजें बयान की हैं। उनके मुताबिक, मस्जिद में मिली आकृति को शिवलिंग साबित करना बहुत कठिन नहीं होगा। इसके सबूत चीख-चीख के खुद बोल रहे हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी उस जगह को संरक्षित करने का आदेश दिया है जहां शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है। हालांकि, सच क्या है यह कोर्ट के फैसले के बाद ही तय हो पाएगा।

फव्‍वारा वर्षों से खराब है

ज्ञापवापी मामले में याचिकाकर्ता सोहन लाल ने बताया कि इस बात को साफ-साफ देखा जा सकता है कि काले पत्‍थर पर ऊपर से कुछ सीमेंट से जोड़ा गया है। मस्जिद कमेटी के लोगों से जब पूछा गया कि अगर यह फव्‍वारा है तो इसे चालू कर दीजिए। इस पर उन्‍होंने जवाब दिया कि यह खराब है। जब पूछा गया कि कब से खराब है तो बताया गया कि वर्षों से। उसे पूरी तरह साफ करने के बाद भी ऐसा कुछ नहीं मिला कि वहां पाइप से कुछ आ रहा है। न किसी अंडरग्राउंड पाइप का सुराग मिला। इस पर कमिटी के लोगों से पूछा गया क्‍या और कोई अंडरग्राउंड पाइप आता है तो उन्‍होंने कहा नहीं। उनसे कहा गया कि फिर यह फव्‍वारा कैसे हुआ। इसे लेकर उनका कहना था कि ऐसा बताया गया है। सच तो यह है कि वहां पानी आने-जाने का कोई रास्‍ता नहीं था।

शिवलिंग में छेद है क्‍या?

सोहन लाल ने बताया कि सर्वे के दौरान जांच कमिश्‍नर विशाल सिंह मौजूद थे। वे झाड़ू की सींक खोजकर लाए। उन्‍होंने देखना चाहा कि ऊपर से यह कितना गहरा है। जब उन्‍होंने सींक को डाला तो वह सिर्फ 6 इंच अंदर चली गई। फिर लाइट मंगाई गई और फोटोग्राफी की गई। 6 इंच से ज्‍यादा कुछ नहीं था। इसका भी जवाब मस्जिद कमिटी के लोग नहीं दे सके।

कैसे प्रकट हुआ शिवलिंग?

सोहन लाल ने बताया जहां से शिवलिंग मिला वहां 25 बाई 25 का वजूखाना है। वो पूरा पानी से लबालब भरा हुआ था। जैसे ही पानी खाली कराया गया यह शिवलिंग सरीखी आकृति उभरकर सामने आई। यहां ध्‍यान रखने वाली बात है कि पूरी साफ सफाई प्रशासनिक अधिकारियों ने कराई। एक प्रशासनिक अधिकारी ने इस बात पर गौर किया कि वह आकृति एक ही पत्‍थर से बनी हुई है। इसका रंग काला है। यह शिवलिंग सरीखा लगता है। शिवलिंग के ऊपर चौकोर तरीके से कुछ जोड़ा गया है। अगर उसे हटा दिया जाए तो वो पूरी तरह से शिवलिंग ही दिखाई पड़ता है।

यह है मुस्लिम पक्ष का दावा

अंजुमन इंतजामिया कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन का कहना है कि मुगल काल की मस्जिदों में वजू खाने के अंदर फव्वारा लगाए जाने की परंपरा रही है। उसी का एक पत्थर सर्वे में मिला है, जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है। मुस्लिम पक्ष की ओर से एक तस्वीर जारी कर दावा किया गया है कि जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है, वो फव्वारा है। हालांकि मृदुभाषी ऐसे किन्हीं भी दावों की पुष्टि नहीं करता।

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