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नसीरुद्दीन शाह की नसीहत, मजहब में सुधार चाहिए या वहशीपन

मुंबई: अपने बेबाक अंदाज के लिए पहचाने जाने वाले एक्टर नसीरुद्दीन शाह ने तालिबान का समर्थन करने वाले भारतीय मुस्लिमों पर निशाना साधा हैं। उन्होंने बुधवार को एक वीडियो जारी किया है। इसमें उन्होंने हिंदुस्तानी इस्लाम और दुनिया के बाकी हिस्सों के इस्लाम के बीच फर्क बताया है। शाह ने सवाल पूछा है कि तालिबान की पैरवी करने वाले भारतीय मुस्लिम अपने मजहब में सुधार चाहते हैं या पिछली सदियों जैसे वहशीपन के साथ जीना चाहते हैं? शाह ने कहा कि हिंदुस्तानी इस्लाम दुनिया भर के इस्लाम से हमेशा मुख्तलिफ (अलग) रहा है, और खुदा वो वक्त न लाए कि वो इतना बदल जाए कि हम उसे पहचान भी न सकें।

उर्दू में रिकॉर्ड किए गए इस वीडियो क्लिप में शाह ने कहा है कि हालांकि अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है, लेकिन भारतीय मुसलमानों के एक तबके का इस बर्बरता को लेकर जश्न मानना भी कम खतरनाक नहीं है।

मुझे सियासी मजहब की जरूरत नहीं है

उन्होंने आगे कहा, ह्यहर भारतीय मुसलमान को खुद से पूछना चाहिए कि उसे अपने मजहब में रिफॉर्म (सुधार), जिद्दत पसंदी (आधुनिकता, नवीनता) चाहिए या वे पिछली सदियों के जैसा वहशीपन चाहते हैं। मैं हिंदुस्तानी मुसलमान हूं और जैसा कि मिर्जा गालिब ने एक अरसा पहले कहा था, मेरे भगवान के साथ मेरा रिश्ता अनौपचारिक है। मुझे सियासी मजहब की जरूरत नहीं है।

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