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भारत में महामारी ने 4.6 करोड़ को बनाया गरीब, अरबपतियों की संख्या में हुआ इजाफा

नई दिल्ली। ऑक्सफैम इंडिया की ताजा रिपोर्ट ‘इनइक्वालिटी किल्स’ से पता चला है कि जहां भारत में 84 प्रतिशत परिवारों को एक साल में अपनी आय में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा है। वहीं अरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई। भारत में मार्च, 2020 से 30 नवंबर, 2021 तक महामारी के दौरान अरबपतियों की संपत्ति 23.14 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 53.16 लाख करोड़ रुपए हो गई. इस बीच 4.6 करोड़ से अधिक भारतीयों के 2020 में अत्यंत गरीबी में जाने का अनुमान है। गैर सरकारी संस्था ऑक्सफैम का कहना है कि कोविड महामारी के कारण आय में भारी गिरावट आई है और भारत में अत्यधिक धन असमानता अमीरों और गरीबों के बीच देखने को मिली है।

स्वास्थ्य बजट में गिरावट

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के डावोस एजेंडा से पहले 16 जनवरी को जारी ऑक्सफैम की रिपोर्ट ‘इनइक्वालिटी किल्स’ ने यह भी पाया कि जैसे-जैसे कोविड ने भारत को तबाह करना जारी रखा, देश के स्वास्थ्य बजट में 2020-21 के संशोधित अनुमान से 10 फीसदी की गिरावट देखी गई। ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा कि रिपोर्ट असमानता की कठोर वास्तविकता की ओर इशारा करती है। उन्होंने कहा कि हम भारत सरकार से एक ऐसी आर्थिक प्रणाली के लिए प्रतिबद्ध होने का आग्रह करते हैं, जो एक अधिक समान और टिकाऊ राष्ट्र बनाती है, भारत दुनिया को दिखा सकता है कि लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं धन के पुनर्वितरण और समावेशी विकास के लिए सक्षम हैं, जहां कोई भी पीछे नहीं रहता है। भारत में बढ़े अरबपति रिपोर्ट कहती है कि महामारी की वजह से पिछले एक साल में देश में 84 फीसदी परिवारों को जीवन और आजीविका की क्षति के कारण अपनी आय में गिरावट का सामना करना पड़ा है। बेहर कहते हैं कि समानता और गरीबी के खिलाफ भारत की लड़ाई को उन अरबपतियों का समर्थन करना चाहिए जिन्होंने महामारी के दौरान देश में रिकॉर्ड मुनाफा कमाया, इसी दौरान भारत में अरबपतियों की संख्या बढ़कर 142 हो गई है।

देश में हुए 98 अरबपति

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की सामूहिक संपत्ति 2021 में 57.3 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। वहीं 98 सर्वाधिक अमीर भारतीयों के पास करीब 49.27 लाख करोड़ की संपत्ति है, जो निचले तबके के 55.2 करोड़ लोगों की कुल संपत्ति के बराबर है। अधिक धन कर लगाने के फायदे बेहर कहते हैं। राजनीतिक हलकों में आवाजों से यह स्पष्ट है कि भारत को अभी अत्यधिक असमानता को दूर करने की जरूरत है।

लेकिन हमें केवल शब्दों से हटकर असमानता और गरीबी के चक्र को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। यह तभी संभव है जब सरकार उन अमीरों पर कर लगाए जो महामारी से उबरने के लिए बहुत जरूरी संसाधन पैदा करेंगे। 98 अरबपतियों की संपत्ति पर चार फीसदी टैक्स लगाने से 17 साल तक देश के मिड डे मील कार्यक्रम या 6 साल तक समग्र शिक्षा अभियान चलाया जा सकता है। वहीं 98 सबसे अमीर अरबपति परिवारों पर एक प्रतिशत संपत्ति कर लगता है, तो आयुष्मान भारत को सात साल से अधिक समय तक वित्तपोषित कर सकता है। इसी के साथ देश के 98 अरबपतियों की संपत्ति पर एक प्रतिशत कर से स्कूली शिक्षा और साक्षरता पर होने वाले कुल खर्च का वहन बड़े आराम से किया जा सकता है।

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