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नकली रेमडेसिविर मामले में आरोपियों ने उगले कई चौंकाने वाले राज

भोपाल/जबलपुर। नकली रेमडेसिविर का विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। मामले में एक-एक कर नए-नए आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। बीते हफ्ते गुजरात की मोरबी पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपी नागेश को जबलपुर पुलिस प्रोडक्शन वारंट पर ले आई है। आरोपी ने 1 लाख 80 हजार रुपए से रेमडेसिविर इंजेक्शन के 75000 रैपर बनाए थे।

गौरतलब है कि नकली रेमडेसिविर रैकेट मामले में अब तक नागेश 11वें आरोपी के रूप में सामने आया है। इसने इंजेक्शन के लिए सबसे अहम पार्ट कहे जाने वाले रैपर को बनाने में भूमिका अदा की थी। आरोपी ने पौने दो लाख रुपए लेकर 70 हजार से ज्यादा रैपर बनाए थे। गुजरात के मोरबी पुलिस ने महाराष्ट्र बॉर्डर से सटे दक्षिण गुजरात के इंडस्ट्रियल एरिया वापी से नागेश को गिरफ्तार किया था।

अब तक कितने लोग हुए हैं गिरफ्तार?

नागेश को जबलपुर एसआईटी प्रोडक्शन वारंट पर 3 दिन की रिमांड पर लेकर आई है। उससे पूछताछ में मामले से जुड़े अन्य तथ्यों की जांच भी की जाएगी। अब तक इस मामले में सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा, उनकी पत्नी जसमीत मौखा, मैनेजर सोनिया खत्री, दवा कर्मी देवेश चौरसिया, बेटा हरकरण मोखा, भगवती फार्मा का संचालक सपन जैन, इंदौर में एमआर के पद पर कार्यरत राकेश मिश्रा, फार्मा फैक्ट्री से इंजेक्शन खरीदी में बिचौलिया रीवा निवासी सुनील मिश्रा, और नकली रेमडेसिविर फैक्ट्री के मुख्य कर्ताधर्ता पुनीत शाह और कौशल वोरा पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं। ये सभी जेल में बंद हैं।

मरीजों की जान से खिलवाड़

गौरतलब है कि नकली रेमडेसिविर के ये इंजेक्शन गुजरात की एक फैक्ट्री में बनाए जा रहे थे। इनमें से 12 सौ की खेप मध्यप्रदेश पहुंची थी। इनमें 700 इंजेक्शन इंदौर और 500 इंजेक्शन जबलपुर पहुंचे थे। इन इंजेक्शन को सिटी अस्पताल में इलाजरत 171 मरीजों को लगा दिया गया था। यह काम मरीजों की जान से गंभीर खिलवाड़ है।

जबलपुर की इस खबर पर भी डालें नजर

मध्यप्रदेश में कुछ समय पहले तक तेजी से फैले कोरोना संक्रमण के बाद सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए जेलों में बंद अपराधियों को पैरोल पर छोड़ने का फैसला लिया। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के उस निर्देश के बाद लिया गया था, जिसमें ये कहा गया था कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए जेलों में कैदियों की संख्या को कम किया जाए और महामारी के दौरान उन्हें पैरोल दी जाए। अब सरकार की ओर से कैदियों को छोड़ने के मामले में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई है। याचिका में दुष्कर्म और अन्य कुख्यात अपराधों में बंद अपराधियों को पैरोल पर नहीं छोड़ने की मांग की गई है। इस याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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