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फूलों से होता है समस्याओं का समाधान शास्त्रों में कही गई है यह बात

Dharma: देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न पदार्थों से उनकी पूजा की जाती है और सुगंधित, स्वादिष्ट द्रव्य उनको समर्पित किए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार देवी-देवता सर्वाधिक सुगंधित फूल समर्पित करने से प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों में फूलों के संबंध में और पूजा के कुछ विशेष विधान बतलाए गए हैं।

  • ललितासहस्त्रनाम नामक ग्रंथ में फूलों की माला के संबंध में कहा गया है कि ‘मां शोभां लातीति माला’ अर्थात – जो शोभा, सुन्दरता बढ़ाये, वह माला है। पंचमहाभूतों में माला पृथ्वीतत्व का प्रतीक है।
  • कुलार्णव तन्त्र में कहा गया है कि शिंवलिंग पर पुष्प और माला अर्पित करने से जीवन में स्थिरता आती है। भय-भ्रम, शंका का नाश होता है। आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
  • विष्णु नारदीय पुराण एवं ‘विष्णु धर्मोत्तर पुराण’ में उल्लेख है कि पुष्प पृथ्वी और प्रकृति की अनुपम देन हैं। फूल मनोहर और सुगंधित होते हैं। प्रतिदिन त्रिदेव ब्रह्मा,विष्णु, महेश के प्रतीक 3 फूल शिंवलिंग पर अर्पित करने से जीवन का भार कम होता है। मस्तिष्क से संबंधित रोगों का निदान होता है। मानसिक रोग में 72 दिन तक लगातार शिंवलिंग पर पुष्प चढ़ाने से चमत्कारी फायदा होता है।
  • शारदा तिलक ग्रन्थ में कहा गया है कि ‘देवस्य मस्तकं कुर्यात्कुसुमोपहितं सदा’ अर्थात घर के मंदिर में देवताओं का मस्तक और शिंवलिंग सदैव पुष्प से सुशोभित रहना चाहिए अन्यथा घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होने लगता है। परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य खराब रहने लगता है।
  • कालिका पुराण में कहा गया है कि घर के सभी सदस्य बिना अन्न ग्रहण किये शिंवलिंग या देवताओं की पूजा-अर्चना अवश्य करें। इससे समस्त दुखों का नाश होता है।
  • तन्त्र रहस्योपनिषद और वास्तुदोष निवारण कर्म में कहा गया है कि जिस घर में प्रातः या सुबह और शाम या रात को ईश्वर का पुष्प से श्रृंगार नहीं होता, दीप प्रज्जवलित नहीं होता, शंखध्वनि नहीं होती, शिंवलिंग पर जल नहीं चढ़ाया जाता, ऐसे घरों में धीरे-धीरे प्रेत-पिशाच, भूतों का वास होने लगता है और घर की सकारात्मक ऊर्जा का नाश हो जाता है।
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