पेरिस। मंगल ग्रह पर बस्तियां बसाने का सपना देखने वालों के लिए अच्छी खबर है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने ऐलान किया कि उसे मंगल ग्रह के ग्रैंड कैनयान में बड़ी मात्रा में पानी छिपा मिला है। मंगल पर पानी की खोज एक्सोमार्स ट्रैस गैस ऑर्बिटर ने की है। इस खोज में सबसे अच्छी बात यह है कि पानी का विशाल भंडार वल्लेस मरीनर्स की सतह के मात्र 3 फुट नीचे मिला है। वल्लेस मरीनर्स एक विशाल घाटी है। पानी से भरा यह इलाका आकार में नीदरलैंड के आकार के बराबर है और कैंडोर चाओस घाटी का हिस्सा है। इस घाटी में पानी मिलने की सबसे ज्यादा उम्मीद है। शोध के सहलेखक अलेक्सी मलाखोव ने एक बयान जारी करके कहा कि हमने पाया है कि वल्लेस मरीनर्स का मध्यवर्ती हिस्सा पानी से पूरी तरह से भरा हुआ है। यह पानी हमारी अपेक्षा से भी ज्यादा है।
45,000 वर्ग किलोमीटर का जलाशय
यह जलाशय करीब 45,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक के आकार का है। पानी के संकेतों को ऑर्बिटर के फाइन रेजोल्यूशन एपिथर्मल न्यूट्रॉन डिटेक्टर उपकरण द्वारा उठाया गया था। जिसे मंगल ग्रह के परिदृश्य का सर्वेक्षण करने और मिट्टी में हाइड्रोजन के छिपे होने की उपस्थिति को मैप करने के लिए डिजाइन किया गया है। अचानक वैलेस मैरिनेरिस ग्रैंड कैनियन की जमीन के अंदर भारी मात्रा में पानी की मौजूदगी का पता चला तो यूरोप और रूस के वैज्ञानिक हैरान रह गए। क्योंकि पानी की मात्रा का अनुमान किसी ने नहीं लगाया था।
मानव बस्ती बसाने की दिशा में बड़ा कदम
लाल ग्रह पर भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों को बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होगी। वहीं निचले अक्षांशों पर ग्रह को बसाने की बेहतर संभावनाएं हैं। हालांकि वैलेस मेरिनेरिस में पानी की खोज होने से इस दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। लाल ग्रह पर कई सूख चुकी घाटियां और नदियों के इलाके हैं जिससे लंबे समय से यह अनुमान जताया जाता रहा है कि वहां पर कभी पानी बहता था।