शहडोल। शहडोल के जिला चिकित्सालय में 8 मासूम बच्चों की मौत पर राज्य शासन की संवेदनहीनता से जुड़े हुए तथ्य सामने आ रहे हैं। प्रशासन द्वारा सीमित क्षमता के बिस्तर वाले अस्पताल में क्षमता से ज्यादा बच्चों को भर्ती करने के कारण इस प्रकार की भयावह स्थिति उत्पन्न हुई है इस प्रकार का बयान जांच अधिकारी दल की ओर से सामने आया है जिसमें स्पष्ट रूप से यह कहा गया है की कम बेड पर ज्यादा बच्चों को एडमिट कर दिया जाएगा तो स्थिति तो बिगड़ेगी ही।
मृदुभाषी की पड़ताल टीम के द्वारा की गई तहकीकात में इस प्रकार के संकेत सामने आ रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशिष्ट प्रकृति के कार्यों के ठेके देते समय उक्त प्रकृति के कार्यों के प्रति ठेकेदार अथवा कंपनी की विशेष योग्यता की जांच करने के मामले में लापरवाही की जाती है और ऐसे ठेकेदार अथवा कंपनी को कार्य वितरित कर दिए जाते हैं जिन्हें कार्य का विशेष अनुभव नहीं होता है इसके बावजूद भी आईसीयू का निर्माण करने हेतु नियमों की अनदेखी करते हुए कुछ खास कंपनी एवं ठेकेदारों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा अधिकांश ठेके प्रदान किए गए हैं।
मध्य प्रदेश के अधिकतर जिलों में इतनी संवेदनशील प्रकृति के कार्यों में विभागीय अधिकारी और कंपनी व ठेकेदारों द्वारा नियम व शर्तों को ताक पर रखते हुए ना तो कार्य पूर्ण किए गए हैं और ना ही इस विषय में विभाग द्वारा ऐसी कंपनी में ठेकेदारों के विरुद्ध किसी प्रकार की कोई कार्यवाही की गई है जबकि यह सभी कार्य आम जनता के स्वास्थ्य तथा जीवन से जुड़े हुए है।
इस प्रकार की सिस्टम की खामी की वजह से मासूम बच्चों की इतनी बड़ी संख्या में जान चली जाना अपने आप में बहुत चिंताजनक है और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को सामने लाकर उनके अपराध के लिए दंडित किया जाना राज्य शासन की सर्वोच्च जिम्मेदारी होना चाहिए इतने बड़े हादसे के लिए न्यायिक जांच करवाई जाकर दोषी व्यक्तियों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध किए जाने चाहिए।