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इत्र कारोबारी मामला, 25 किलो सोना, 250 किलो चांदी और 257 करोड़ रुपए कैश बरामद

कन्नौज। काली कमाई के कुबेर इत्र कारोबारी पीयूष जैन के यहां से उम्मीद से कई गुना बड़ा काली कमाई का खजाना प्राप्त हुआ है। विजिलेंस टीम को छापे में अब तक 25 किलो सोना, 250 किलो चांदी और 257 करोड़ रुपए कैश बरामद हुआ हैं।

रुपयों से भरे आठ बोरे मिले

पिछले तीन दिनों से व्यापारी पीयूष जैन के यहां छापे की कार्रवाई चल रही है। पीयूष जैन के घर और कारोबारी ठिकानों से अकूत काला धन बरामद हुआ है। अवैध धन के मामले में पीयूष जैन को गिरफ्तार कर लिया गया है। इत्र एवं कंपाउंड कारोबारी पीयूष जैन के घर बने तहखाने में रुपयों से भरे आठ बोरे और बड़ी संख्या में सोने के बिस्किट टीम के हाथ लगे हैं। रुपयों की गिनती के लिए जीएसटी टीम ने और मशीनें मंगाई हैं। वहीं कारोबारी के घर में कई जगह बने तहखाने और दीवारों में बनाए गए लॉकरों को खोजने के लिए लखनऊ से आर्किटेक्ट टीम को भी बुलाया है। शहर के चिपट्टी मोहल्ला निवासी इत्र एवं कंपाउंड कारोबारी पीयूष जैन के घर दूसरे दिन चली छापेमारी के दौरान बड़ा नोटों का जखीरा सामने आया। घर में बने तहखाने में रुपयों से भरे आठ बोरे और सोने के बिस्किट व जेवर मिला है। भारी रकम टीम के हाथ लगते ही कानपुर से रुपये गिनने वाली मशीन लेकर एक टीम आ गई है।

तहखाने और दीवारों में मिले लॉकर

टीम के अधिकारियों का मानना है कि मकान और पास ही बनी गोदाम में कई ऐसे तहखाने और दीवारों में लॉकर है इन्हें खोजना मुश्किल है। इस कारण रविवार सुबह लखनऊ से आर्किटेक्ट इंजीनियरों की टीम को भी बुलाया गया है। बड़ी संख्या में करोड़ों रुपए और सोना मिलने की जानकारी पर मौके पर कई थानों की फोर्स को भी लगा दिया गया है। टीम के अधिकारियों ने केंद्रीय पुलिस बल की भी मांग की है।

पीयूष जैन को रखा गया गोपनीय ठिकाने पर

कारोबारी पीयूष जैन को जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम ने कानपुर या कन्नौज में किसी गुप्त ठिकाने पर रखा है। छापेमारी और तलाशी के दौरान जरूरत पड़ने पर अधिकारी फोन पर उससे बात भी करते हैं। डीजीजीआई की टीम ने लखनऊ के पुरातत्व विभाग के अफसरों से संपर्क किया है। रविवार को पुरातत्व विभाग की टीम उपकरणों के माध्यम से नोट, गहने आदि का पता लगाएगी। पीयूष जैन के ठिकानों से मिली 181 करोड़ रुपये की नकदी ने जांच एजेंसियों के सामने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। विभागीय अफसरों का कहना है कि पीयूष का कारोबार इतना बड़ा नहीं है कि नवंबर 2016 में नोटबंदी और बीच में करीब डेढ़ साल के कोरोना काल के बाद वह इतनी बड़ी रकम जुटा ले।

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