पांच अंतरराष्ट्रीय संगठनों की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में 230 करोड़ लोग खाना पकाने के लिए प्रदूषणकारी ईंधन का उपयोग कर रहे हैं। और 67 करोड़ 50 लाख लोगों के पास बिजली नहीं है।
अगर इसी दर से चीजें चलती रहीं तो अनुमान है कि 2030 तक 66 करोड़ लोगों के पास बिजली और 190 करोड़ लोगों के पास रसोई के लिए स्वच्छ ईंधन नहीं होगा। साल 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने सभी के लिए 2030 तक किफायती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा था। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, अंतरराष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी डिविजन, विश्व बैंक और विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आधा समय फातिह बिरोल, गुजर चुका है और कार्यकारी निदेशक, दुनिया उसे हासिल अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी करने के रास्ते पर नहीं चल रही है।
इससे लाखों लोगों के स्वास्थ्य तथा जलवायु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के कार्यकारी निदेशक फातिह बिरोल ने एक बयान में कहा, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण पैदा हुआ ऊर्जा संकट दुनियाभर में लोगों पर अपना नकारात्मक प्रभाव छोड़ रहा है। ऊर्जा के दामों में बेतहाशा वृद्धि से विशेष रूप से विकासशील देशों में सबसे संवेदनशील लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ा है।