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मणिपुर से इंदौर एयरपोर्ट पहुंचे 23 छात्र, बच्चों को देखते ही माता पिता हुए भावुक

मणिपुर से इंदौर एयरपोर्ट पहुंचे 23 छात्र, बच्चों को देखते ही माता पिता हुए भावुक

इंदौर। मणिपुर राज्य में हो रही हिंसक घटनाओं को लेकर मध्यप्रदेश के छात्रों को सरकार द्वारा रेस्क्यू कर इंदौर एयरपोर्ट लाया गया यहां से इन सभी छात्रों को विभिन्न माध्यमों से उनके घर भेजा गया छात्रों को अपने साथ देख परिजन काफी उत्साहित नजर आए तो वहीं परिजनों ने राहत की सांस लेते हुए सरकार का धन्यवाद किया है।

एयरपोर्ट पर सांसद शंकर लालवानी ने अगवानी की

एयरपोर्ट पर सांसद शंकर लालवानी द्वारा अगवानी की गई और सभी छात्रों से उनके स्वास्थ्य के बारे में चर्चा कर उन्हें घर की ओर रवाना किया गया कुछ छात्रों के परिजन एयरपोर्ट पर छात्रों को लेने भी पहुंचे थे जिनके चेहरे पर साफ तौर पर खुशी झलक रही थी। बतादें कि मणिपुर के कुछ हिस्सों में काफी हिंसक घटनाएं सामने आ रही हैं। मध्य प्रदेश के कई छात्र पढ़ाई के लिए गए हुए थे जो कि हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहे थे तभी कुछ छात्रों द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से प्रदेश सरकार से मदद मांगी गई थी।

मणिपुर से इंदौर एयरपोर्ट पहुंचे 23 छात्र

इस पूरे मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और अन्य राजनीतिक नेताओं द्वारा छात्रों का रे स्कूल कर उन्हें अपने घर पहुंचाने के लिए कदम उठाए गए और इसी के तहत प्रदेश की सरकार द्वारा कुल 23 छात्रों को रेस्क्यू किया गया।

गोलियों की आवाज गूंज रही थी, हम तीन रात से सो नहीं पाए

इंदौर की रहने वाली डॉ. फौजिया मुलतानी एमबीबीएस के बाद इंफाल में पीजी (एमएस) कर रही है। उन्होंने बताया – ‘वहां बहुत बुरे हालात थे। पहली 3 रात तो हम लोग सो नहीं पाए थे। बंदूकों की आवाज आती रहती थी। अस्पताल में भी गन शॉट इंज्यूरी आती रहती थी। कर्फ्यू लगने के बाद खाना-पीना सब बंद हो गया था। मैं लेडीज हॉस्टल में रहती थी। वहां पर खाने-पीने को लेकर कुछ भी प्रोवाइड नहीं कराया गया था।

जैसे ही कर्फ्यू लगा सब कुछ शटडाउन हो गया था। इंडियन आर्मी जब वहां पर डिपलॉय की गई थी, तो शाम को वो लोग फूड डिस्ट्रीब्यूट करते थे, लेकिन कॉलेज हॉस्टल में तो वो भी हम लोगों को नहीं मिल पाता था। 3 दिन लगातार नूडल्स खाकर सर्वाइव किया। उसके बाद हमने मेडिकल सुप्रीटेंडेंट को कम्प्लेन की। लेकिन वो भी हेल्पलेस थी।

3 मई को ही मैंने पेरेंट्स को फोन कर वहां के हालात बताए थे। हमें भी नहीं मालूम था कि इतना सब कुछ हो जाएगा। घर वाले कह रहे थे कि कैसे भी करके वापस आ जाओ, लेकिन पॉसिबल नहीं था। फ्लाइट के टिकट भी बहुत ज्यादा महंगे हो गए थे, जिन्हें अफोर्ड कर पाना मुश्किल था। इसलिए सरकार से ही मदद का इंतजार कर रहे थे।’

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