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13 साल का वक्त, 20 हज़ार करोड़ खर्च, जान‍िए INS विक्रांत की खास‍ियत

भारत में बना पहला विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत आज भारतीय नौसेना में शामिल हो गया. . इस विहानवाहक पोत का वजन करीब 45 हजार टन है और इसे बनाने में तकरीबन 20 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है।

INS Vikran की लंबाई 262 मीटर और चौड़ाई 62 मीटर है. भारत में निर्मित यह अब तक का सबसे बड़ा जंगी जहाज है. मिग-29 और हेलिकॉप्टर समेत इसमें एक समय में 30 एयरक्राफ्ट खड़े हो सकते हैं. इस युद्धपोत की क्षमता 1600 लोगों की है. पीएम मोदी ने इसे नौसेना में शामिल करते हुए कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत अभियान की झलक है. पीएम ने कहा कि आज भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया है जो स्वदेशी रूप से इतने बड़े युद्धपोत बना सकते हैं, विक्रांत ने नया आत्मविश्वास जगाया है।

इस मौके पर पीएम मोदी ने नए नौसैनिक ध्वज का भी अनावरण किया. नए ध्वज के ऊपरी हिस्से में एक तरफ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को शामिल किया गया है. अभी तक नौसेना के ध्वज में क्रॉस ऑफ सेंट जॉर्ज बना था, इसके बीच में अशोक चिन्ह था, उसे हटा दिया गया है. नए ध्वज में नीले रंग के बैकग्राउंड में सुनहरे रंग से अशोक चिन्ह बना हुआ है. नीचे सत्यमेव जयते लिखा है. अशोक चिन्ह छत्रपति शिवाजी महाराज की शाही मुहर पर बनाया गया है. ध्वज में नीचे संस्कृत भाषा में भारतीय नौसेना का आदर्श वाक्य ‘शं नो वरुणः’ यानी ‘जल के देवता वरुण हमारे लिये शुभ हों’ लिखा है।

पीएम मोदी ने नए नौसैनिक ध्वज का अनावरण करते हुए कहा कि भारत ने इसे अपनाकर अपने सीने से गुलामी का बोझ हटा लिया है. आईएनएस विक्रांत के पास शुरू में मिग फाइटर जेट और कुछ हेलिकॉप्टर होंगे. नौसेना 26 डेक-आधारित विमान खरीदने की प्रक्रिया में है. आईएनएस विक्रांत को बनाने के लिए पिछले एक दशक से ज्यादा समय से काम चल रहा था. पिछले वर्ष 21 अगस्त से इसके कई समुद्री चरणों को पूरा किया गया. अब इसमें एविएशन ट्रायल किया जाएगा।

अभी तक भारत के पास केवल एक विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य था, जिसे रूस में बनाया गया था. भारतीय रक्षा बल कुल तीन एयरक्राफ्ट कैरियर की मांग कर रहे थे, जिन्हें हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में दो मुख्य नौसैनिक मोर्चों पर तैनात किया जाना है और एक अतिरिक्त रखना है।

आईएनएस विक्रांत नाम का जंगी जहाज पहले भी भारतीय नौसेना में रह चुका है. एचएमएस हरक्यूलीज नाम के जंगी जहाज को भारत ने 1957 में ब्रिटेन से खरीदा था और फिर आईएनएस विक्रांत के नाम से उसे 1961 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. 1971 के पाकिस्तान के साथ युद्ध में आईएनएस विक्रांत ने महत्पूर्ण योगदान दिया था. 1997 में उसे सेवानिवृत्त कर दिया गया था. नया आईएनएस विक्रांत पुराने वाले जहाज के मुकाबले बड़ा और आधुनिक है।

INS Vikran भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होकर देश को अहम अतिरिक्त जंगी जहाज का अवसर देता है यानी अब पूर्वी और पश्चिमी दोनों समुद्री तटों पर एक-एक विमानवाहक पोत तैनात किया जा सकता है अपनी समुद्री उपस्थिति का विस्तार किया जा सकता है।

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