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इंदौर में 12 साल के मास्टर अवि शर्मा को प्रधानमंत्री मोदी से मिला राष्ट्रीय बाल पुरस्कार

इंदौर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के विजेताओं से चर्चा की। इसमें सबसे पहले इंदौर के अवि शर्मा से चर्चा की। इंदौर के अवि शर्मा देशभर के 120 विद्यार्थियों को वैदिक गणित पढ़ाते हैं। अवि ने बाल रामायण भी लिखी है। इसमें संपूर्ण रामायण से कुछ खास बातों को लिया गया है। इसमें हिंदी के 250 छंदों को शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के सभी विजेताओं को एक -एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि से सम्मानित किया।

बतादें कि अवि इंदौर के बिरला ओपन माइंड स्कूल में पढ़ते हैं। उनके पिता अमित शर्मा और माता विनीता शर्मा ने बताया कि अवि की बचपन से ही साहित्य व धर्म में रूचि है। कुछ ऐसा रहा पीएम मोदी और मास्टर अवि के बीच संवाद पीए मोदी – आप लेखक हैं, व्याख्यान देते हैं और आपने बालमुखी रामायण भी लिखी है। इतना काम कैसे कर पाते हैं, बचपन बचा है कि वो भी खत्म हो गया है। अवि – सब भगवान राम की कृपा के आशीर्वाद से हो पा रहा है। मोदी- रामायण के संबंध में लिखने का ख्याल कैसे आया। अवि- इसका प्रेरणास्रोत आप ही रहे हैं।

लॉकडाउन में जब हम बच्चे हताश हो गए थे तो आपने टीवी पर रामायण प्रसारित कराई गई। जब रामायण को देखा तो लगा कि भगवान राम का चरित्र बच्चे भूलते जा रहे हैं। भगवान राम के आदर्श बच्चे इस रामायण से सीख सकें इसलिए मैंने यह रामायण लिखी है। इस पर मोदी ने कहा कि कौन से भगवान हैं, जो आपका आदर्श हैं। जिस पर अवि- ने कहा कि एक ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम है जिसे वो अपना आदर्श मानते है। मोदी- परिवार में सब तंग आ जाते हों जब तुम दिनभर रामायण-रामायण करते होंगे। अवि- मेरे माता-पिता सपोर्ट करते हैं। इनसे ही रामायण, महाभारत और गीता सुनी है। मोदी- कोर्ट में जैसे धाराओं का उपयोग करके लड़ते हैं, वैसे ही आप शास्त्रों का उपयोग करके लड़ते होंगे। अवि- मैं बच्चों को शास्त्रों और भारतीय कल्चर के बारे में बताता हूं। मोदी- मध्य प्रदेश के पानी में ही कोई विशेषता है कि इस प्रकार के बच्चे पैदा होते हैं। अवि- मालवा की भूमि ही महान रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उमा भारती जो मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री रही हैं। वे व्याख्यान देती थीं जब बहुत छोटी थीं। हम भी सुनने के लिए गए थे। वे धाराप्रवाह वक्तव्य देती थीं। शास्त्रों का सटीक उल्लेख करती थीं। संस्कृत बोल लेती थीं और चौपाइयां गा लेती थीं और बचपन भी दिखता था। मैं बहुत प्रभावित हुआ था। मुझे लगा था कि मध्यप्रदेश में ऐसी ताकत है, जो ऐसे लोग बचपन में ही तैयार हो जाते हैं। आपकी उम्र और आपका काम इस बात को साबित करता है कि बड़े काम करने के लिए कोई उम्र छोटी नहीं होती है। आप सिर्फ बच्चों के लिए नहीं, पूरे समाज के लिए प्रेरणा हैं। जो भी करें पूरे मन से करें। इस सोच के साथ करें कि मेरा काम देश को कैसे लाभ पहुंचा रहा है। पद, प्रतिष्ठा और उपलब्धियां दबाव बनाती हैं। इसे दबाव न बनने दें।

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